सत्संग अर्थ है सात तत्वों का संग, सज्जनो को संग, सद्गुणो का संग, सद्ग्रन्थों का संग, सद्विचारों का संग, सदकर्मो का संग, सदपठन का संग, सद्चिन्तन का संग, सदश्रवण का संग, और ऐसेही अनेक सततत्व है, प्रत्येक सततत्व साक्षात श्री कृष्ण का स्वरुप है!!
जिसका संग करने से काम, क्रोध, लोभ, मोह, माया, मद, मत्सर जैसे दुर्गुणों से छुटकारा मिलता है, जिसके संग करने से अहंकार नष्ट हो जाए, गौरव प्राप्ति हो, वैष्णव जीवन जीने में सफलता मिले, स्वधर्म आचरण की प्रेरणा मिले एवं प्रभु के स्वरुप में प्रेम जागृत हो उसे सत्संग कहते है!
संक्षिप्त में कहा जाये तो जिस संग से जीवन में जविात्मा और परमात्मा का मिलन हो जाये उसे सत्संग कहते है
और सत्संग की दूसरी परिभाषा है
"ओमकार भजन मंडल"
Jayshrikrishna..
जिसका संग करने से काम, क्रोध, लोभ, मोह, माया, मद, मत्सर जैसे दुर्गुणों से छुटकारा मिलता है, जिसके संग करने से अहंकार नष्ट हो जाए, गौरव प्राप्ति हो, वैष्णव जीवन जीने में सफलता मिले, स्वधर्म आचरण की प्रेरणा मिले एवं प्रभु के स्वरुप में प्रेम जागृत हो उसे सत्संग कहते है!
संक्षिप्त में कहा जाये तो जिस संग से जीवन में जविात्मा और परमात्मा का मिलन हो जाये उसे सत्संग कहते है
और सत्संग की दूसरी परिभाषा है
"ओमकार भजन मंडल"
Jayshrikrishna..
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