थोड़ी सी ज्ञान की बात भाग ३
थोड़ी सी ज्ञान की बात भाग ३
शान्ति
बोलना, सुनना, सोचना, समझना एक क्षण के लिए नज़र भर घूमा ले इस टॉपिक पे तो लोगो को कितना आसान लगता है! इन-फैक्ट लोग तो सोचते है वही घिसी पिटी लाइन होगी सब तरह से शांति मोक्ष पूजा-पाठ वगेरा वगेरा! सही बात है भाई मैंने तो पहले भी कहा है की हर किसी को बोलने का पूरा हक़ हमारे संविधान ने दिया ही है! तो आप बोल सकते है! ठीक उसी प्रकार एक और संविधान है और वह संविधान है उस ऊपर वाले का जिसमे सभी को वह सामान ही समझता है! परन्तु काबिलियत के हिसाब से सही काम देता है! उसने सभी को शांति से जीवन व्यतीत करने का सामान हक़ दिया है! और इस शांति मार्ग में जाने का सभी को सामान अधिकार है! परन्तु आखिर शांति होती है क्या! शांति शांति सब करते है शांति है क्या??????????
जी हाँ सब बोलते है! "शांति रखो कोई बोलता है शांति से काम लो! शांति बनाए रखो!"
आखिर है क्या ये शांति किसको बनाने रखने काम लेने की बात हो रही है! हर जगह इसका अर्थ अलग क्यों जान पड रहा है! आध्यात्मिक में शांति कुछ अलग लगती है! भीड़ में शांति कुछ अलग लगती है! शोर में कुछ अलग लगती है! आखिर ऐसा क्यों होता है! ये शांति है क्या! और ये अलग अलग क्यों लग रही है इसे कोई एक रूप में ही होना चाहिए ना! क्योंकि ले-देके ये तो जुड़ी है मन से फिर दूसरी बातें इसमें कहा से आई!
जी हाँ सही सोचा है आप ने शांति मन की ही है और मन को ही मनाना है शांत होने के लिए और इन सभी के लिए अलग अलग तरह के प्रयोजन भी है! कोई कुछ अलग ढंग से मनाता है कोई अलग ढंग से मनाता है! पर सब से पहले आज हम गौर करेंगे की अशांति है किस बात की!http://santnagesh.blogspot.in/2016/05/blog-post_13.html
शान्ति
बोलना, सुनना, सोचना, समझना एक क्षण के लिए नज़र भर घूमा ले इस टॉपिक पे तो लोगो को कितना आसान लगता है! इन-फैक्ट लोग तो सोचते है वही घिसी पिटी लाइन होगी सब तरह से शांति मोक्ष पूजा-पाठ वगेरा वगेरा! सही बात है भाई मैंने तो पहले भी कहा है की हर किसी को बोलने का पूरा हक़ हमारे संविधान ने दिया ही है! तो आप बोल सकते है! ठीक उसी प्रकार एक और संविधान है और वह संविधान है उस ऊपर वाले का जिसमे सभी को वह सामान ही समझता है! परन्तु काबिलियत के हिसाब से सही काम देता है! उसने सभी को शांति से जीवन व्यतीत करने का सामान हक़ दिया है! और इस शांति मार्ग में जाने का सभी को सामान अधिकार है! परन्तु आखिर शांति होती है क्या! शांति शांति सब करते है शांति है क्या??????????
जी हाँ सब बोलते है! "शांति रखो कोई बोलता है शांति से काम लो! शांति बनाए रखो!"
आखिर है क्या ये शांति किसको बनाने रखने काम लेने की बात हो रही है! हर जगह इसका अर्थ अलग क्यों जान पड रहा है! आध्यात्मिक में शांति कुछ अलग लगती है! भीड़ में शांति कुछ अलग लगती है! शोर में कुछ अलग लगती है! आखिर ऐसा क्यों होता है! ये शांति है क्या! और ये अलग अलग क्यों लग रही है इसे कोई एक रूप में ही होना चाहिए ना! क्योंकि ले-देके ये तो जुड़ी है मन से फिर दूसरी बातें इसमें कहा से आई!
जी हाँ सही सोचा है आप ने शांति मन की ही है और मन को ही मनाना है शांत होने के लिए और इन सभी के लिए अलग अलग तरह के प्रयोजन भी है! कोई कुछ अलग ढंग से मनाता है कोई अलग ढंग से मनाता है! पर सब से पहले आज हम गौर करेंगे की अशांति है किस बात की!http://santnagesh.blogspot.in/2016/05/blog-post_13.html
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