Saturday, May 14, 2016

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નાગેશ દ્વારા લિખિત સાખી / / नागेश द्वारा लिखित साखी

નાગેશ દ્વારા લિખિત સાખી
नागेश द्वारा लिखित साखी


१) विरह की याद में तड़पत भए
ना रात सूझत ना दिन
मैं तो सुधबुध सब खो बैठी
तुम रहे कठोर न दर्शन दीन्ह

२) गुरु बिन न हस्ती मेरी
न हस्ती तेरी न हस्ती परमातम की
गुरु मिले तब रास्ता दिखाए
ज्ञान मिले तब आतम की

३) शब्द की महिमा का बखान कर, शब्द को धो कर पी
शब्द कटारी घाव करत है, शब्द मरहम करत औषधी
शब्द शब्द का खेल निराला, शब्द गुरु मतवाला है!
शब्द की धुनि लगा आतम पे, शब्द सहज तू पी

४) तुझमे खुदा बस्ते है बस यही सोच के चले जा रहा हूँ
तुझसे मिलने के खातिर जो कदम बढाए तो हर जगह खुद को खड़ा पा रहा हूँ
ज़िन्दगी का आयाम कितना छोटा लगेगा ये सोचा नहीं था कभी
जब से बात तेरी आई है मैं तो बस ज़हर पीए जा रहा हूँ

५) गुरु से मिलकर मैंने जाना है तुझे, मेरी नस नस में तू ही तू समाया है!
मैं तेरा हूँ या तू मेरा है??? आखिर किसने किसे आज़माया है!
मैं तुझमे समां जाऊंगा या तू मुझमे समां जायेगा, इसकी खबर पड़ती नहीं थी
गुरु ने मेरे मुझसे मेरा रूबरू कराया है!

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