Tuesday, August 12, 2014

जय श्री कृष्ण

जय श्री कृष्ण वगर नी प्रभात नकामी
मंगला ना दर्शन अने स्वसेव्य प्रभु ना चरणस्पर्श वगर नो दिवस नकामो
श्री ठाकुरजी ना आलिंगन वगर नो जन्मारो नकामो
श्री गुरुदेव वगर नु ज्ञान नकामु
८४/२५२ वैष्णव वगर नो सत्संग नकमो
सत्संग वगर नो संग नकामो
गला मा कंठी वगर नी वैष्णवता नकामी
प्रभुने प्रसन्न कर्या वगर नो प्रेम नकामो
समर्पण वगर नु जीवन नकामु
महाप्रसाद वगर नु भोजन नकामु
तन मन धन ना विनियोग वगर सर्व कई नकामु
भाव वगर नी भक्ति नकामी
अनन्यता अने अनंता वगर नी भक्ति नकामी
अन्याश्रय थी सर्व कई नकामु
पुष्टि भक्ति वगर नु जीवन नकामु
स्वगृह मा भग्वदसेवा वगर नु घर नकामु
सेवा वगर नु शरीर नकामु
भग्वदरस वगर नु मन नकामु
मन वगर नों मनोरथ नकमो
प्रभु सिवाय नो प्रेम नकामो ने प्रेम वगर नी सेवा नकामी
श्री हरि गुरु वैष्णव वगर नु आ जगत नकामु
संपूर्ण आश्रय अने शरणागति वगर नी भक्ति नकामी
अने अनन्य वैष्णववृंद वगर नु आ व्हाट्स अप नकामु

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