श्री कृष्ण शरणम ममः
जय श्री कृष्ण
रक्षाबंधन -
प्रेम और मधुर बंधन का त्यौहार
हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का पवित्र त्यौहार मनाया
जाता है. इस त्यौहार से भाई-बहन का एक-दूसरे के प्रति परस्पर स्नेह, प्यार और अटूट विश्वास झलकता है.
इस दिन प्यारी बहन अपने भाई की कलाई पर रेशम के धागों की पवित्र डोर बांधती है, उसके माथे पर तिलक
लगाती है और उसकी दीर्घायु और प्रसन्नता के लिए ईश्वर से कामना करती है. भाई भी इस पवित्र बंधन के
मौके पर अपनी बहन को हर परिस्थिति में यथा संभव उसकी रक्षा करने की प्रतिज्ञा कर अमूल्य उपहार देता
है. हिन्दू पुराण में वर्णित कथाओं के अनुसार एक बार पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने भगवान श्रीकृष्ण की कलाई
से बहते खून को रोकने के लिए अपनी साड़ी का किनारा फाड़ कर बांधा और इस प्रकार उनके बीच भाई-बहन
का पवित्र रिश्ता कायम हुआ था. श्रीकृष्ण ने भी द्रौपदी को रक्षा करने का वचन दिया और चीर हरण के समय
उनकी लाज बचाई. ऐसा विश्वास किया जाता है कि तभी से हिन्दू समाज में रेशमी धागों के पवित्र बंधन का
त्यौहार रक्षाबंधन आरम्भ हुआ.
राखी में तिलक का महत्व -
इस त्यौहार का यह अभिप्राय इस लिए भी हम सही मानते हैं क्योंकि बहनों के अतिरिक्त ब्राह्मण भी अपने
यजमानों को राखी बांधते हैं. ब्राह्मण लोग धर्म कार्यों करते हैं और पवित्र कार्य करना ही उनके लिए नियम है.
वे उस दिन राखी ही नहीं बांधते बल्कि मस्तक पर तिलक भी देते हैं. बहनें भी भाईयों के मस्तक पर चंदन या
केसर के तिलक देती हैं. यह तिलक आत्मा को ज्ञान रंग में रंगने अथवा आत्मिक स्मृति में रहने का प्रतीक है.
तो स्पष्ट है रक्षा बंधन पवित्रता रूपी धर्म में स्थित होने की प्रतिज्ञा करने एवं काम रूपी विष को तोडऩे का
प्रतीक है.
राखी में धागे का महत्व -
यों तो तार एक मामूली-सी चीज है, परंतु जब उस तार में बिजली होती है. तब वह तार बहुत काम करती है.
एक फ्यूज की तार अपनी जगह से हटा दी जाए तो चलते हुए कारखानों में काम रुक जाता है. हजारों लोग
बेकार खड़े हो जाते हैं और सड़कों पर अंधेरा हो जाता है, जिसके कारण अनेक दुर्घटनाएं हो जाती हैं. अपने
स्थान पर एक छोटी सी तार कितना बड़ा काम करती है. इस प्रकार राखी भी कुछ धागों की बनी होती है, परंतु
उन धागों में जो भाव भरा हुआ होता है. वह भाव जीवन को बहुत ऊंचा बनाने वाला होता है. विचार से ही संसार
में बड़े-बड़े परिवर्तन होते हैं. अत: राखी जिस विचार की प्रतीक है. राखी में जो भाव छिपा हुआ है वही मुख्य
चीज है. उसे धारण करने के लिए प्रेरणा देना ही राखी की रस्म का मुख्य उद्देश्य है. उससे ही राखी की महिमा
है. यदि उसे छोड़ दें तब तो राखी बस रुपये दो रुपये की चीज है.
राखी में गाँठ का महत्व -
लोग जब कहते हैं. गांठ बांध लो तो उसका अभिप्राय यह होता है 'बुद्धि में रख लो' बुद्धि में इस बात को
पक्की तरह धारण कर लो, परंतु स्मृति के लिए लोग अपने रूमाल या माताएं अपनी ओढऩी को गांठ बांध
लेती हैं. ठीक इसी प्रकार मौली को कलाई पर बांधने का उद्देश्य है. पवित्रता रूपी व्रत को बुद्धि में धारण
करना. इस दिन बहने प्रात: काल में स्नानादि से निवृ्त होकर, कई प्रकार के पकवान बनाती है. इसके बाद
पूजा की थाली सजाई जाती है. थाली में राखी के साथ कुमकुम रोलौ, हल्दी, चावल, दीपक, अगरबती, मिठाई
और कुछ पैसे भी रखे जाते है. भाई को बिठाने के लिये उपयुक्त स्थान का चयन किया जाता है. सर्वप्रथम
अपने ईष्ट देव की पूजा की जाती है. भाई को चयनित स्थान पर बिठाया जाता है.इसके बाद कुमकुम हल्दी से
भाईका टीका करके चावल का टीका लगाया जाता है. अक्षत सिर पर छिडके जाते है. आरती उतारी जाती
है.डोरी में सुवर्ण, केसर, चन्दन, अक्षत और दूर्वा रख कर इसकी पूजा करें, और फिर भाई की दाहिनी कलाई
पर राखी बांधी जाती है. पैसे उसके सिर से उतारकर, गरीबों में बांट दिये जाते है.रक्षा बंधन पर बहने अपने
भाईयों को राखी बांधने के बाद ही भोजन ग्रहण करती है.
रक्षा बंधन मंत्र-
राखी बांधते समय बहनें निम्न मंत्र का उच्चारण करें, इससे भाईयों की आयु में वृ्द्धि होती है.
येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल:
तेन त्वांमनुबध्नामि, रक्षे मा
जय श्री कृष्ण
रक्षाबंधन -
प्रेम और मधुर बंधन का त्यौहार
हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का पवित्र त्यौहार मनाया
जाता है. इस त्यौहार से भाई-बहन का एक-दूसरे के प्रति परस्पर स्नेह, प्यार और अटूट विश्वास झलकता है.
इस दिन प्यारी बहन अपने भाई की कलाई पर रेशम के धागों की पवित्र डोर बांधती है, उसके माथे पर तिलक
लगाती है और उसकी दीर्घायु और प्रसन्नता के लिए ईश्वर से कामना करती है. भाई भी इस पवित्र बंधन के
मौके पर अपनी बहन को हर परिस्थिति में यथा संभव उसकी रक्षा करने की प्रतिज्ञा कर अमूल्य उपहार देता
है. हिन्दू पुराण में वर्णित कथाओं के अनुसार एक बार पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने भगवान श्रीकृष्ण की कलाई
से बहते खून को रोकने के लिए अपनी साड़ी का किनारा फाड़ कर बांधा और इस प्रकार उनके बीच भाई-बहन
का पवित्र रिश्ता कायम हुआ था. श्रीकृष्ण ने भी द्रौपदी को रक्षा करने का वचन दिया और चीर हरण के समय
उनकी लाज बचाई. ऐसा विश्वास किया जाता है कि तभी से हिन्दू समाज में रेशमी धागों के पवित्र बंधन का
त्यौहार रक्षाबंधन आरम्भ हुआ.
राखी में तिलक का महत्व -
इस त्यौहार का यह अभिप्राय इस लिए भी हम सही मानते हैं क्योंकि बहनों के अतिरिक्त ब्राह्मण भी अपने
यजमानों को राखी बांधते हैं. ब्राह्मण लोग धर्म कार्यों करते हैं और पवित्र कार्य करना ही उनके लिए नियम है.
वे उस दिन राखी ही नहीं बांधते बल्कि मस्तक पर तिलक भी देते हैं. बहनें भी भाईयों के मस्तक पर चंदन या
केसर के तिलक देती हैं. यह तिलक आत्मा को ज्ञान रंग में रंगने अथवा आत्मिक स्मृति में रहने का प्रतीक है.
तो स्पष्ट है रक्षा बंधन पवित्रता रूपी धर्म में स्थित होने की प्रतिज्ञा करने एवं काम रूपी विष को तोडऩे का
प्रतीक है.
राखी में धागे का महत्व -
यों तो तार एक मामूली-सी चीज है, परंतु जब उस तार में बिजली होती है. तब वह तार बहुत काम करती है.
एक फ्यूज की तार अपनी जगह से हटा दी जाए तो चलते हुए कारखानों में काम रुक जाता है. हजारों लोग
बेकार खड़े हो जाते हैं और सड़कों पर अंधेरा हो जाता है, जिसके कारण अनेक दुर्घटनाएं हो जाती हैं. अपने
स्थान पर एक छोटी सी तार कितना बड़ा काम करती है. इस प्रकार राखी भी कुछ धागों की बनी होती है, परंतु
उन धागों में जो भाव भरा हुआ होता है. वह भाव जीवन को बहुत ऊंचा बनाने वाला होता है. विचार से ही संसार
में बड़े-बड़े परिवर्तन होते हैं. अत: राखी जिस विचार की प्रतीक है. राखी में जो भाव छिपा हुआ है वही मुख्य
चीज है. उसे धारण करने के लिए प्रेरणा देना ही राखी की रस्म का मुख्य उद्देश्य है. उससे ही राखी की महिमा
है. यदि उसे छोड़ दें तब तो राखी बस रुपये दो रुपये की चीज है.
राखी में गाँठ का महत्व -
लोग जब कहते हैं. गांठ बांध लो तो उसका अभिप्राय यह होता है 'बुद्धि में रख लो' बुद्धि में इस बात को
पक्की तरह धारण कर लो, परंतु स्मृति के लिए लोग अपने रूमाल या माताएं अपनी ओढऩी को गांठ बांध
लेती हैं. ठीक इसी प्रकार मौली को कलाई पर बांधने का उद्देश्य है. पवित्रता रूपी व्रत को बुद्धि में धारण
करना. इस दिन बहने प्रात: काल में स्नानादि से निवृ्त होकर, कई प्रकार के पकवान बनाती है. इसके बाद
पूजा की थाली सजाई जाती है. थाली में राखी के साथ कुमकुम रोलौ, हल्दी, चावल, दीपक, अगरबती, मिठाई
और कुछ पैसे भी रखे जाते है. भाई को बिठाने के लिये उपयुक्त स्थान का चयन किया जाता है. सर्वप्रथम
अपने ईष्ट देव की पूजा की जाती है. भाई को चयनित स्थान पर बिठाया जाता है.इसके बाद कुमकुम हल्दी से
भाईका टीका करके चावल का टीका लगाया जाता है. अक्षत सिर पर छिडके जाते है. आरती उतारी जाती
है.डोरी में सुवर्ण, केसर, चन्दन, अक्षत और दूर्वा रख कर इसकी पूजा करें, और फिर भाई की दाहिनी कलाई
पर राखी बांधी जाती है. पैसे उसके सिर से उतारकर, गरीबों में बांट दिये जाते है.रक्षा बंधन पर बहने अपने
भाईयों को राखी बांधने के बाद ही भोजन ग्रहण करती है.
रक्षा बंधन मंत्र-
राखी बांधते समय बहनें निम्न मंत्र का उच्चारण करें, इससे भाईयों की आयु में वृ्द्धि होती है.
येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल:
तेन त्वांमनुबध्नामि, रक्षे मा
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