चना (चणक,GRAM) -
समस्त भारत में मुख्यतः उत्तर प्रदेश ,पश्चिम बंगाल एवं गुजरात में इसकी खेती की जाती है| चने का प्रयोग मुख्यतः शाक के रूप में किया
जाता है | इसकी प्रकृति गर्म होती है | चने की दो प्रजातियां होती है -१ काला चना २-काबुली चना |
आज हम आपको काले चने के विषय में बताएंगे | चना शरीर में ताकत लाने वाला और भोजन में रूचि पैदा करने वाला होता है | सूखे भुने हुए
चने वात तथा कुष्ठ को नष्ट करने वाले होते हैं | उबले हुए चने कोमल,रुचिकारक,शीतल,हल्के,कफ तथा पित्तनाशक होते हैं |
विभिन्न रोगों में चने से उपचार -
१- रात को सोते समय थोड़े भुने हुए चने खाकर ऊपर से गुड़ खा लें,इससे खांसी में लाभ होता है |
२- चने को छः गुने जल में भिगोकर दूसरे दिन प्रातःकाल उसका पानी छानकर १०-१२ मिली की मात्रा में पीने से उलटी में लाभ होता है |
३- एक या दो मुट्ठी चने धोकर रात को भिगो दें | सुबह पिसा हुआ जीरा और सौंठ चनों पर डालकर खाएं,घंटे भर बाद चने भिगोए हुए पानी को भी पी लें, इस प्रयोग से कब्ज दूर होती है |
४- चने और जौं को बराबर मात्रा में पीस लें | इस आटे की रोटी के सेवन से मधुमेह में बहुत लाभ होता है |
५- चने को दही के साथ पीसकर शरीर के जले हुए भाग पर लगाने से तुरंत आराम आ जाता है |
६- चने के आटे का उबटन बनाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे की काँति बढ़ती है तथा मुहांसे व झाँईं मिटती हैं |
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