राधे राधे - आज का भगवद चिन्तन - 6-7-2014
मौन रहकर भी सत्य मिल सकता है, बोलकर भी मिल सकता है। घर में रहकर भी मिल
सकता है, घर छोड़कर भी मिल सकता है। चैतन्य देव - मीराबाई की तरह हरि वोल गाते-गाते भी मिल सकता
है। तुम किसी भी मार्ग के पथिक होना पर श्रद्धा और विश्वाश के पथिक जरूर होना।
सूफी परम्परा में एक बात कही जाती है कि हमारे साधन में एक ही कमी है। हम खुद तो
बन जाते हैं आशिक और प्रभु को बना लेते हैं माशूका। यही तो गड़वड़ है। तुम उसे कहा जाओगे ढूढने, वो तो
छलिया है। अब ऐसा करो , कन्हैया को बना लो आशिक और तुम बन जाओ माशूका ।
वो अपने आप तुम्हें खोजते- खोजते आ जायेगा। इस प्रकार के सत्कर्म ,परमार्थ, भजन,
निष्ठा, सेवा , यज्ञ , भजन हमारा बन जाये कि हमारा ठाकुर हमें खोजते- खोजते हमारे घर आ जाये। शबरी
नहीं गई थी , भगवान् शबरी के यहाँ आये थे। जीवन पूरा ही प्रार्थना बन जाये, कुछ ऐसा करो।
संजीव कृष्ण ठाकुर जी
मौन रहकर भी सत्य मिल सकता है, बोलकर भी मिल सकता है। घर में रहकर भी मिल
सकता है, घर छोड़कर भी मिल सकता है। चैतन्य देव - मीराबाई की तरह हरि वोल गाते-गाते भी मिल सकता
है। तुम किसी भी मार्ग के पथिक होना पर श्रद्धा और विश्वाश के पथिक जरूर होना।
सूफी परम्परा में एक बात कही जाती है कि हमारे साधन में एक ही कमी है। हम खुद तो
बन जाते हैं आशिक और प्रभु को बना लेते हैं माशूका। यही तो गड़वड़ है। तुम उसे कहा जाओगे ढूढने, वो तो
छलिया है। अब ऐसा करो , कन्हैया को बना लो आशिक और तुम बन जाओ माशूका ।
वो अपने आप तुम्हें खोजते- खोजते आ जायेगा। इस प्रकार के सत्कर्म ,परमार्थ, भजन,
निष्ठा, सेवा , यज्ञ , भजन हमारा बन जाये कि हमारा ठाकुर हमें खोजते- खोजते हमारे घर आ जाये। शबरी
नहीं गई थी , भगवान् शबरी के यहाँ आये थे। जीवन पूरा ही प्रार्थना बन जाये, कुछ ऐसा करो।
संजीव कृष्ण ठाकुर जी
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