Saturday, July 05, 2014

ATUL BHAI STORY

                                             एक संत ने एक रात स्वप्न देखा कि उनके पास एक देवदूत आया है, देवदूत

 के हाथ में एक सूचीहै। उसने कहा, ‘यह उन लोगों की सूची है, जो प्रभु से प्रेम करते हैं।’ संत नेकहा, ‘मैं भी

प्रभु से प्रेम करता हूँ, मेरा नाम तो इसमें अवश्य होगा।’ देवदूत बोला, ‘नहीं, इसमें आप का नाम नहीं है।’ संत

 उदास हो गए- फिर उन्होंने पूछा,‘इसमें मेरा नाम क्यों नहीं है। मैं ईश्वर से ही नहीं अपितु गरीब,असहाय,

 जरूरत मंद सबसे प्रेम करता हूं। मैं अपना अधिकतर समय दूसरो की सेवा में लगाता हूँ, उसके बाद जो समय

 बचता है उसमें प्रभु का स्मरण करता हूँ - तभी संत की आंख खुल गई। दिन में वह स्वप्न को याद कर उदास

थे,एक शिष्य ने उदासी का कारण पूछा तो संत नेस्वप्न की बात बताई और कहा, ‘वत्स, लगता है सेवा करने

में कहीं कोई कमी रह गई है।’ तभी मैं ईश्वर को प्रेम करने वालो की सूची में नहीं हूँ - दूसरे दिन संत ने फिर

वही स्वप्न देखा,वही देवदूत फिर उनके सामने खड़ा था। इस बार भी उसके हाथ में कागज था। संत ने बेरुखी से

कहा, ‘अब क्योंआए हो मेरेपास- मुझे प्रभु से कुछ नहीं चाहिए।’ देवदूत नेकहा, ‘आपकोप्रभु से कुछ नहीं

चाहिए, लेकिन प्रभु कातो आप पर भरोसा है। इस बार मेरे हाथ में दूसरी सूची है।’ संत नेकहा, ‘तुम उनके पास

जाओ जिनके नाम इस सूची में हैं, मेरे पास क्यों आए हो ?’ देवदूत बोला, ‘इस सूची में आप का नाम सबसे

ऊपर है।’ यह सुन कर संत कोआश्चर्य हुआ - बोले,‘क्या यह भीईश्वर सेप्रेम करने वालों कीसूचीहै।’ देवदूत

नेकहा, ‘नहीं, यह वह सूचीहै जिन्हें प्रभु प्रेम करते हैं, ईश्वर से प्रेम करने वाले तो बहुत हैं, लेकिन प्रभु

उसकोप्रेम करते हैं जो सभीसे प्रेम करता हैं। प्रभु उसको प्रेम नहीं करते जो दिनरात कुछ पाने के लिए प्रभु का

गुण गान करते है।’ - प्रभु आप जैसे निर्विकार, निस्वार्थ लोगो से ही प्रेम करते है ।संत की आँखे गीली हो चुकी

थी- उनकी नींद फिर खुल गयी-वो आँसू अभी भी उनकी आँखों में थे!

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