Friday, July 18, 2014

OMKAR BHAJAN MANDAL STORY

गुजरात के एक पटेल वैष्णव निष्कंचन थे। मजूरी कर क़े अपना निर्वाह करते।
एक बार गुजरात वेष्णवो के संघ के साथ श्री गुंसाईजी के दर्शन करने ब्रज में आये।
वेष्णवो का संघ जब जतीपुरा आया तब श्रीनाथजी के दर्शन कर सभी ने रूद्र कुण्ड पर मुकाम किया।
रात्रि को सभी वैष्णव श्री गुंसाईजी को धरने के लिए भेंट निकालने लगे।
पटेल वैष्णव विचार करे की- गुरु के पास खाली हाथ केसे जा सके? मेरे पास भेंट धरने के लिए कुछ भी नही है। क्या करू में? इसी चिंता में पटेल वैष्णव को रात भर नींद नही आई। सुबह उठकर पटेल वैष्णव आगे चलने लगा। रास्ते में एक बगीचे में सुन्दर पुष्प खिले थे। पटेल वैष्णव बगीचे में जाकर बगीचे के माली को एक वस्त्र (अंगोछा) दिया और बदले में माली से पुष्प मांगे। माली ने राजी होकर पटेल वैष्णव को खूब सारे सुन्दर पुष्प दिए।
पटेल वैष्णव ने पुष्प लेकर एक सुन्दर मालाजी सिद्ध करी। पटेल वैष्णव के मन में एक ही आरती की कब ये मालाजी श्री गुंसाईजी के कंठ में धरू? श्री गुंसाईजी के चरणकमल का ध्यान करते करते पटेल वैष्णव आगे चलता गया।
दयासागर, कृपासागर श्री गुंसाईजी को पटेल वैष्णव की आरती सहन नही हुई। श्री गुंसाईजी श्रीनाथजी का श्रंगार कर के, घोड़े पर सवार होकर पटेल वैष्णव के सामने पधारे।
मार्ग में श्री गुंसाईजी को वेष्णवो का संघ मिला। सभी वैष्णव ने भेंट धरने हेतु श्री गुंसाईजी से विनती करी।
श्री गुंसाई ने आज्ञा करी की मेरा पटेल वैष्णव पुष्प की माला लेकर आ रहा है। वो जहा होगा वही में रुकुंगा।
श्री गुंसाईजी ने अपना घोड़ा पटेल वैष्णव के पास रोका। पटेल वैष्णव ने सुन्दर पुष्प की मालाजी श्री गुंसाईजी को धराई।
मलाजी धराने के पश्चात पटेल वैष्णव को मूर्छा आ गई। श्री गुंसाईजी ने पटेल वैष्णव को सावधान किया। उस दिन से श्री गुंसाईजी ने फूलघर की सेवा पटेल वैष्णव को सोंपी।
पूर्णपुरषोत्तम स्वरूप श्री गुंसाईजी भक्तमनोरथपूरक है। भक्तो के अलोकिक मनोरथ पूर्ण करने के लिए श्री गुंसाईजी सदा तत्पर रहते है।
।।ऐसे परमदयाल श्री गुंसाईजी की सदा सर्वदा जय हो।

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