Tuesday, June 24, 2014

आज का भगवद चिन्तन, 24-6-2014 by atul dakshini

राधे राधे, आज का भगवद चिन्तन, 24-6-2014

 जिन्दगी में मन लगाना है तो प्रभु में ही लगाना। अन्यथा तुम अपूर्ण और अधूरे ही जियोगे और अधूरे ही जाओगे। ऐसा नहीं है कि आदमी पूर्ण होकर नहीं जी सकता। जी सकता है पर वह पूर्णता प्राप्त तो परमात्मा के संग से ही होगी।
 परमात्मा के संग होने से असंभव भी संभव हो जाता है और संग ना होने से संभव भी असंभव हो जाता है। अर्जुन अकेला था तो उससे युद्ध में खड़ा होना भी मुश्किल हो रहा था। जब श्री कृष्ण के संग होने का अहसास हुआ तो पूरा मैदान जीत लिया।
 संग होने का अर्थ 24 घंटे राम-राम रटना या मंदिर में जाना नहीं है। यह तो सारी दुनिया कर रही है। कौन आनन्द और पूर्णता को उपलब्ध हुआ ? भीतर ह्रदय में यह बैठ जाना कि श्री हरि ही मेरे अपने हैं संसार में , बस। अर्जुन की तरह सारथि बनालो श्रीकृष्ण को , अपने आप मंजिल तक ले जायेंगे।
                     संजीव कृष्ण ठाकुर जी

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