ATUL BHAI: भाव
पुष्टिमार्ग नो मुख्य आधार भाव उपर छे . कोइ वस्तु स्वभावे सागरी के खोटी छेज नही. जेवो भाव एनी अंदर
मुकीये तेवी ए वस्तु थइ जाय छे. जेनो भाव सुन्दर ते मानव सुन्दर . भाव वगर नुं जीवन मृत जीवन जेवु छे. भाव थी
प्रभु सांनिध्य अनुभवाय , भाव थी प्रभु अप्रगट होवा छतां प्रगट जेवा लागे छे. भाव ए महामुली चीज छे ए वगर बधी क्रिया नकामी बधी सेवा नकामी बधां साधन नकामां, बधी पुजा नकामी, जेणे रह्दयमां भाव राखी सेवा करता जाण्युं तेणे जीवन
सार्थक कर्यु . भाव वगरनुं कोइपण कार्य -सेवा प्रभु ने संतुष्ट करी शके नही. भाव थी अर्पण करायेली सेवा प्रभु बहु
मानीने स्वीकारी ले छें.
पुष्टिमार्ग नो मुख्य आधार भाव उपर छे . कोइ वस्तु स्वभावे सागरी के खोटी छेज नही. जेवो भाव एनी अंदर
मुकीये तेवी ए वस्तु थइ जाय छे. जेनो भाव सुन्दर ते मानव सुन्दर . भाव वगर नुं जीवन मृत जीवन जेवु छे. भाव थी
प्रभु सांनिध्य अनुभवाय , भाव थी प्रभु अप्रगट होवा छतां प्रगट जेवा लागे छे. भाव ए महामुली चीज छे ए वगर बधी क्रिया नकामी बधी सेवा नकामी बधां साधन नकामां, बधी पुजा नकामी, जेणे रह्दयमां भाव राखी सेवा करता जाण्युं तेणे जीवन
सार्थक कर्यु . भाव वगरनुं कोइपण कार्य -सेवा प्रभु ने संतुष्ट करी शके नही. भाव थी अर्पण करायेली सेवा प्रभु बहु
मानीने स्वीकारी ले छें.
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