Tuesday, June 24, 2014

MY SELF

HI FRIENDS,
  this is nagesh sharma from Omkar Bhajan Mandal,
    Omkar Bhajan mandal Is the Place where We can do Sewa Karya For People, Animal, Nature and whatever Good things We Want We can Do Here.


      Omkar Bhajan Mandal में हम सब एक परिवार है इस बात को बताना जरुरी नहीं है मगर समझना बहुत ही जरुरी है क्योकि बहुत बार ऐसा होता है की हम कुए के मेंढक की तरह अपने आप को उस दायरे में सिमित कर लेते है और अपनी आखे बंद करके ये सोच लेते है की बस हमने हमारा कार्य कर लिया है और अब हमे इस दुनिया में इससे ज्यादा कुछ भी करने की जरुरत नहीं है!

     ज मैं इस जगह जो भी लिख रहा हूँ वह मेरी सोच है मेरा तरीका है मै इस ब्लॉग के जरिये अपनी सोच को ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुचना चाहता हूँ और यही मेरा ध्येय भी है और जरुरत भी!

     क्या आप जानते  है की हर बार जब हम ये सोचते है की आज मैं ऐसा करूँगा या आज मैं वैसा करूँगा, और जब हम उस कगार पे मतलब उस जगह पहुँचते है उसे करने के लिए तभी एकदम अचानक से वह चीज पूरी तरह से बदल जाती है!  ऐसा क्यों होता है?  आखिर ऐसी क्या गलती है या क्या तकलीफ होती है उस ऊपर वाले को की वह हमारी सोच अच्छी हो ख़राब हो कैसी भी हो जब हमें सबसे ज्यादा जरुरत हो तभी बिगड़ जाती है और हमपे मुसीबतो का पहाड़ तो यु टूटता है जैसे बीच समुन्दर में ज्वर भाटा के बीच में व्हेल मछली चारो तरफ से हमारे आस पास ही घूम रही हो की अगर हम हाथ पैर मार के निकले तो वह खा लेंगी नहीं निकले तो समुन्दर निगल लेगा! मै पूछता हूँ आखिर इंसान ऐसी स्थिति में क्या करे!

  क्यों ऊपर वाला हमे इतना मजबूर, असहाय, निराश, हताश और मायुश कर देता है की हम अपने आप को तबाही के कगार पे लाके खड़ा कर देते है और अगर वह से हमे साथ मिला तो हम दुबारा अपने आप को समाज में बना लेते है वरना ज़िन्दगी तो है ही खत्म होने के लिए! पर क्यों??? 

   गर हम देखे तो आज सिर्फ भारत की जनसँख्या तक़रीबन सवा अरब के ऊपर हो चली है जिसमे हम ये अंदाज लगाने से बिलकुल अनजान नहीं है की उनमे से कितने लोग इस सिचुएशन से गुजर रहे है! और कितने ऐसे है जिनको इनकी कोई फ़िक्र नहीं है और कितने ऐसे भी है जो इन लोगो के लिए कुछ करना चाहते है!

     ज जो भी इस दौर से गुज़र रहा है क्या उसे जीने का हक्क नहीं है, बड़े बड़े गुनाह करके आदमी पछतावा कर सकता है सुधर सकता है फिर से अपनी ज़िन्दगी में लौट सकता है पर वह लौटने वाला, वह सुधरने वाला हमेशा वैसा ही व्यक्ति होता है जिसके आगे पीछे उसे निकाल  के लाने वाले हो जो समृद्ध हो सुदृढ़ हो और संपत्तिवान हो!

   भगवन को याद करने में किसीकी भूल नहीं होती है यह बात चाहे कोई माने या न माने मगर सभी जानते है की चाहे नाश्तिक हो चाहे आस्तिक हो हर कोई उसे याद करता ही है भले कैसे भी याद करे!

  वाल्मीकि, रावण, और न जाने कौन कौन ऐसे उदहारण है जो उसे याद नहीं करते थे उससे नफरत करते थे मगर उनकी नफ़रत को उसने बदला उनका भला ही किया उन्हें सुधारा उनके लिए उसने एक दूत भेजा सलाहकार भेजा, रास्ता दिखाने वाला भेजा तो हमारी जनरेशन में ऐसा क्या हो गया है की उसको हमारी फ़िक्र ही नहीं रही, क्या हम उसके बच्चे नहीं है क्या हम उसकी रचना नहीं है हमने कौन सा गुनाह किया है!

         न सबका जवाब है एक जवाब नहीं सेकड़ो जवाब है उन धर्मगुरुओ के पास जिन्होने इसका पूरा बीड़ा उठाया हुआ है! और अपने काम को वह बखूबी कर रहे है! मगर हम लोगो में से कितने लोग उस जगह जाते है और जो जाते है उन्हें उनकी ज्यादा जरुरत है या उन्हें जिनके बारे में हम यहाँ बाते कर रहे है!  जी हां अगर उन लोगो की इसकी जरुरत है और हम ये बात जानते है तो वह लोग कैसे जायेंगे वहा, भगवत चिंतन, ध्यान, मनन, भजन, सत्संग का अर्थ कौन बताएगा उन लोगो को समाज के अन्धकार में पड़े उन लोगो को कौन निकलेगा बाहर आखिर कौन???     क्या इसका जवाब है हमारे पास? इस बात के लिए मेरे ख्याल से दोहरी भूमिका होगी., कुछ कहेंगे हां है कुछ कहेंगे नहीं है कोई कुछ कोई कुछ!!! मगर निष्कर्ष या कहे सच्चाई किसी के पास नहीं होगी और जिनके पास होगी वह इस चीज़ को करने से कतराएंगे! जी हां ये सच बात है और इस बात से आप चाहे न चाहे अच्छी तरह जानते है की में गलत नहीं बोल रहा हूँ



           स बात को मई आगे भी बढ़ाना चाहता हूँ इसके बारे में सोच बहुत ज्यादा बड़ी है मगर समय और साधन की कमी इसीलिए इसके आगे की सोच हम कुछ देर बाद कंटिन्यू करेंगे
   धन्यवाद

सभी के मार्गदर्शन और विचारो को आमंत्रित किया जाता है
नागेश शर्मा




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