ll हे श्री वल्लभ प्रभु !
सात्विक, राजस, तामस, लौकिक, अलौकिक, सर्वस्व आपके चरण कमल में समर्पित हे l
में जो भी बोलूं, करूं, सोचूं सब आपकी इच्छा होय l मे दास हु, में आपकl हूँ l
मोकु अपनी चरणारविन्द
की शरण में रखियो प्रभु ll
सिंहनंद ना एक क्षत्रानी केटलिक वार क्षत्रानी पासे पैसा नो संकोच रेहतो. सामग्री बनाववा खांड,
घी लाववा पैसा नहोय त्यारे ते रोटी घी थी चोपडी शिका मा ढाकी राखती. क्यारेक रात मा श्री ठाकुरजी
क्षत्रानी ने जगाडी ने आग्या करता 'मा मने भूख लागी छे त्यारे क्षत्रानी केहती , लाला ! आजे घरमा कई पकवान नथी केवल रोटी छे. आ साम्भडी श्री ठाकुरजी आग्या करता "मैया रोटी ऊपर दालेलि खांड लगावी तेनु बिडु बनावी श्री ठाकुरजी ने श्रीहस्त मा आपती. श्री ठाकुरजी नाना दांत थी रोटी नो टुकडो करी आरोगता.
पछी क्षत्रानी जल अरोगावी श्री ठाकुरजीने शयन करावती. पण मन मा भारे खेद रेहतो के आजे श्री ठाकुरजी माटे कोई मिठाई बनी नथी. एक वखत तेने एवो विचार आव्यो के मोदी नी दुकाने थी खांड घी उधार लावी अने
श्री ठाकुरजी माटे सामग्री बनावू. रात्रे श्री ठाकुरजी सुकी रोटी आरोगे छे एथि मने घणु दुख थाय छे. बिजा दिवसे ते पच्चीस पैसा ना खांड घी अने मेन्दो उधार लावी तेमा थी चार प्रकार नि सामग्री बनावी राखी, रात्रे
श्री ठाकुरजी ए आग्या करी' मने भूख लागी छे' क्षत्रानीए तेसामग्री श्री प्रभु सन्मुख धरि त्यारे श्री प्रभुए पुछ्यु के आ बधु क्यांथी आव्यु ? तारी पासे द्र्व्य तो हतु नही ? 'लाला, मारा घर मा कोई कमानार नथी अने मारी पासे द्रव्य पण नथी आप ने परिश्रम थाय छे माटे उधार सामग्री लावी छु बे चार दिवस रेन्तियो चलाविश एट्ले बधु देवु चुकवाय जसे. 'मैया, देवु करी ने सामग्री केम बनावी ? देवु चुकवाय नही त्यारे मने घनो क्लेश थाय छे मने क्लेश रुचतो नथी मने तो तारी रोटी रुचे छे माटे तारी पासे पैसा होय तो ज मिठाई बनावजे अने नो होय
तो रोटीज धरजे मने मिठाई करता पण तारी रोटी वधारे मीठी लागे छे. आम त्रिभुवन नायक श्री ठाकुरजी ने स्वसेव्य करी जीवनभर प्रभु ने लाडलाडाव्या अने श्री ठाकुरजी पण क्षत्रानी ने
वात्सल्यभाव नो अद्भुत आनंद आप्यो...... आवा अद्भुत भगवद भक्त ना चरण कमल
मा कोटि कोटि दंडवत....... देवु करीने श्री ठाकुरजी नी सेवा न करवी श्री हरि साधन सामग्री ना भुख्या नथी तेओ तो भक्तना भाव ना भुख्या छे. जे समये आपनी पासे जे कई होय ते बधु श्रीठाकुरजी ने आंगिकार काराववु पाछि एवि दीनता राखवी के माराथी कई बनतु नथी तेनो ताप क्लेश करवो तेनु नाम नि:साधानता छे. पुश्टिमार्ग मा आ नि:साधानता फलरुप छे.
सात्विक, राजस, तामस, लौकिक, अलौकिक, सर्वस्व आपके चरण कमल में समर्पित हे l
में जो भी बोलूं, करूं, सोचूं सब आपकी इच्छा होय l मे दास हु, में आपकl हूँ l
मोकु अपनी चरणारविन्द
की शरण में रखियो प्रभु ll
सिंहनंद ना एक क्षत्रानी केटलिक वार क्षत्रानी पासे पैसा नो संकोच रेहतो. सामग्री बनाववा खांड,
घी लाववा पैसा नहोय त्यारे ते रोटी घी थी चोपडी शिका मा ढाकी राखती. क्यारेक रात मा श्री ठाकुरजी
क्षत्रानी ने जगाडी ने आग्या करता 'मा मने भूख लागी छे त्यारे क्षत्रानी केहती , लाला ! आजे घरमा कई पकवान नथी केवल रोटी छे. आ साम्भडी श्री ठाकुरजी आग्या करता "मैया रोटी ऊपर दालेलि खांड लगावी तेनु बिडु बनावी श्री ठाकुरजी ने श्रीहस्त मा आपती. श्री ठाकुरजी नाना दांत थी रोटी नो टुकडो करी आरोगता.
पछी क्षत्रानी जल अरोगावी श्री ठाकुरजीने शयन करावती. पण मन मा भारे खेद रेहतो के आजे श्री ठाकुरजी माटे कोई मिठाई बनी नथी. एक वखत तेने एवो विचार आव्यो के मोदी नी दुकाने थी खांड घी उधार लावी अने
श्री ठाकुरजी माटे सामग्री बनावू. रात्रे श्री ठाकुरजी सुकी रोटी आरोगे छे एथि मने घणु दुख थाय छे. बिजा दिवसे ते पच्चीस पैसा ना खांड घी अने मेन्दो उधार लावी तेमा थी चार प्रकार नि सामग्री बनावी राखी, रात्रे
श्री ठाकुरजी ए आग्या करी' मने भूख लागी छे' क्षत्रानीए तेसामग्री श्री प्रभु सन्मुख धरि त्यारे श्री प्रभुए पुछ्यु के आ बधु क्यांथी आव्यु ? तारी पासे द्र्व्य तो हतु नही ? 'लाला, मारा घर मा कोई कमानार नथी अने मारी पासे द्रव्य पण नथी आप ने परिश्रम थाय छे माटे उधार सामग्री लावी छु बे चार दिवस रेन्तियो चलाविश एट्ले बधु देवु चुकवाय जसे. 'मैया, देवु करी ने सामग्री केम बनावी ? देवु चुकवाय नही त्यारे मने घनो क्लेश थाय छे मने क्लेश रुचतो नथी मने तो तारी रोटी रुचे छे माटे तारी पासे पैसा होय तो ज मिठाई बनावजे अने नो होय
तो रोटीज धरजे मने मिठाई करता पण तारी रोटी वधारे मीठी लागे छे. आम त्रिभुवन नायक श्री ठाकुरजी ने स्वसेव्य करी जीवनभर प्रभु ने लाडलाडाव्या अने श्री ठाकुरजी पण क्षत्रानी ने
वात्सल्यभाव नो अद्भुत आनंद आप्यो...... आवा अद्भुत भगवद भक्त ना चरण कमल
मा कोटि कोटि दंडवत....... देवु करीने श्री ठाकुरजी नी सेवा न करवी श्री हरि साधन सामग्री ना भुख्या नथी तेओ तो भक्तना भाव ना भुख्या छे. जे समये आपनी पासे जे कई होय ते बधु श्रीठाकुरजी ने आंगिकार काराववु पाछि एवि दीनता राखवी के माराथी कई बनतु नथी तेनो ताप क्लेश करवो तेनु नाम नि:साधानता छे. पुश्टिमार्ग मा आ नि:साधानता फलरुप छे.
No comments:
Post a Comment