।।भाव-विचार।।
CHERISHING AND CHANTING WITHIN SOUNDS ALIKE,BUT SIGNIFICANTLY DIFFERENT...CHANTING IS AN ACTION WHILE CHERISHING IS LIVING IN ACTION.... WHICH IS ONLY POSSIBLE IN "PUSHTI MARG"
अंतररमन और अंतरमनन सुनने में एक ही जैसे लगते हैं किन्तु दोनों आपस में विलोम ही हैं...अंतरमनन प्रभु का अह्रानिश ध्यान करना है जबकि अंतररमन उनके ध्यान में ही जीना है जो कि केवल 'पुष्टिमार्ग' में ही सम्भव है।।
कहानी
एक काफिला सफ़र के दौरान अँधेरी सुरंग से गुजर रहा था.. उनके पैरों में कंकरिया चुभी, कुछ लोगों ने इस ख्याल से कि किसी और को ना चुभ जाये, नेकी की खातिर उठाकर जेब में रख ली..!
कुछ ने ज्यादा उठाई, कुछ ने कम..
जब अँधेरी सुरंग से बाहर आये तो देखा वो हीरे थे..!!
जिन्होंने कम उठाये वो पछताए कि ज्यादा क्यों नहीं उठाए..?
जिन्होंने नहीं उठाए वो और पछताए..!
दुनिया में जिन्दगी की मिसाल इस अँधेरी सुरंग जैसी है और नेकी यहाँ कंकरियों की मानिंद है..!
इस जिंदगी में जो नेकी की वो आखिर में हीरे की तरह कीमती होगी और इन्सान तरसेगा कि और ज्यादा क्यों ना की..
नजर अंदाज करों उन लोगों को जो आपकी पीठ पीछे आपके बारे में बातें करते है, क्योंकि वे उसी जगह है, जहाँ वे रहने के लायक है...
'आपके पीछे..!!'
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